बातल व् बातल के लोग
कॉलेज क साथ एक बड़ा सा गाँव
पीपल की है वहां छाओं
शिव मंदिर है बड़ा प्यारा
देखने को लगे सबसे न्यारा
जब होने लगती शाम तो
दीये को लेकार श्रद्धालु चले
अति मंदिर के पास
यहाँ पर सब दीप जलाते
जग में फैला अंधकार मिटते
यहाँ की तो है येही रीत
चलते लोग गाते गीत
बैठे रहते मंदिर के पास
बच्चे बूढ़े और जवान
हर एक लड़की पर रखते नज़र
सारे गाँव की रखते खबर
लड़का दिखता लड़की जैसा
हीरो जैसी उसकी चाल
आती जाती औरतें और लडकियां बड़ी शर्माती
गर्दन नीचे करके आती जाती
गले में चुनरी लटकाए रखती
सर से न सरकने देती
आते जाते लोगों को करती प्रणाम
चाहे सुबह हो या शाम
नमस्ते से नही चलता काम
क्योंकि बातल है गाँव का नाम
किसी गाँव की भूमि पर नज़र
नही गढ़ते हैं तभी तो
दुनिया भर क लोग भी
बातल में रहने को जाते हैं
यहाँ के लोग है बड़े ज्ञानी
जब आता शनिवार का दिन
चले जाते लोग चने लेकर पीपल के पास
मन में लिए कुछ आस
चढाते पीपल को पानी
ऐसी है बातल के मनुष्य की जिंदगानी
इन्ही विचारों को रखते हुए
तुक्बन्धी मैंने कर डाली
टूटे फूटे शब्दों में बातल गाँव की
सारी कथा लिख डाली
(इसे "छोटी काशी" के नाम से भी पुकारा जाता है)
अंत में मै तरुण शर्मा येही कामना करता हूँ
जब तक सूरज चाँद रहे
बातल तेरा नाम रहे
प्रस्तुति - रेखा शर्मा
ek dm shi likha hai :):)
ReplyDeletehmmmm wao me b krunga ise share mgr kese.:)???
ReplyDeletereally nice .....god's true beauty..
ReplyDeletegood one...
ReplyDeletebhai bhut hi accha likha hai.
ReplyDeleteSpecially poem is awesome.
thank you buddy.. :) )
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